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MY QUOTES: आँख 07/09/2020

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Sep 8, 2020
  • 1 min read

Updated: Sep 8, 2020

तेरी आँखों की शराब पर..

हजारों मयखाने कुर्बान..

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आँखों ने झुककर हामी भर दी...

लबों ने तो ओढ़ ली थी खामोशी...

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आँखें कहीं पर,धड़कनें कहीं पर..

हर मुहब्बत आवारा होती है जनाब..

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मस्त आँखों ने जरा पलकें क्या उठायीं..

सुलग उठा मौसम बरसात की रात में..

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आँखों से इक दरिया सा निकल गया..

खामोश रहकर वह सबकुछ कह गया..

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अपनों ने अपनी नजरें क्या फेरीं..

बरसों से बंद आँखें खुल गयीं..

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आँखों की कोरों से पानी बह रहा था..

न जाने कौन सी ख्वाहिश पिघल रही थी..

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आँखों में नदियाँ बड़ी खामोशी से बहती हैं...

छुपी हैं कई कहानियाँ मगर खामोश रहती हैं...

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अक्सर आँखें खुद नहीं देख पातीं...

मंजिल और रास्ते गुरू दिखाते हैं..

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माँ की आँखें एक जादुई आईना है दोस्तों...

इसमें किसी को अपनी उम्र नहीं दिखती...

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मेरे दर्द भी लाजवाब हैं दोस्तों,

कईयों के काम आते हैं...

आँखें जब भी आँसू बहाती हैं,

कई लोग मुस्कुराते हैं...



© अर्चना अनुप्रिया..

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