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भावों की चयनिका by Archana Anupriya

भावों की चयनिका
- Archana Anupriya
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"उल्टे-पुल्टे रंग होली के"
"उल्टे-पुल्टे रंग होली के.." 😁जोगरा सा रा रा रा..😁 बिखरे बिखरे रंग जमाने के,कैसे करें कमाल.. जज्बात सब काले हुए,रूठे रंग पीले,लाल.....

Archana Anupriya
Mar 24, 20242 min read
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"हाय-हाय ये एग्जाम का भूत"
“हाय-हाय ये एग्जाम का भूत.. आजकल अजीब सा सपना आ रहा है.. ये एग्जाम तो भूत बनकर डरा रहा है.. हर रात एक सब्जेक्ट मेरी नींद उड़ाता है कभी...

Archana Anupriya
Feb 29, 20242 min read
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"राजा राम और मर्यादा पति की"
"राजा राम और मर्यादा पति की" एक कुशल योद्धा बन जीत गया था वह अन्याय से अंधकार से चूर चूर कर दिया था रावण का अहंकार हर अरि ने सिर झुकाया...

Archana Anupriya
Jan 21, 20242 min read
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“कौन तय करता है कि साल बदल गया?”
“कौन तय करता है कि साल बदल गया?” कुछ है जो चल रहा है हर पल क्या है वो? समय,जज्बात,धड़़कनें बेकल..? कुछ है जो ढल रहा है हर पल क्या है वो ?...

Archana Anupriya
Dec 30, 20231 min read
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"श्री राम से शिकायत दीपावली के चाँद की"
"श्री राम से शिकायत दीपावली के चाँद की" दीपावली की वह अद्भुत रात थी श्री राम के अयोध्या वापसी की बात थी.. सारी धरा खुशियों से भरी थी हर...

Archana Anupriya
Nov 12, 20231 min read
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"मैं भारत बोल रहा हूँ.."
"मैं भारत बोल रहा हूँ.." मैं भारत,लहराते तिरंगे की ऊँचाई से बोल रहा हूँ.. अपने दिल की बातें सभी के सामने खोल रहा हूँ.. बरसों की गुलामी के...

Archana Anupriya
Sep 10, 20231 min read
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"सब्जियों की कथा.. टमाटर की व्यथा"
सब्जियों का,फलों का मेला लगा था, हर सब्जी,हर फल परेशान बड़ा था.- "ये क्या अजीब सी बात हो गयी है ? छोटे टमाटर की क्या औकात हो गयी है? ऐसा...

Archana Anupriya
Jul 22, 20232 min read
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"अजीब है वर्दी वाली माँ"
"अजीब है वर्दी वाली माँ" गोद के बच्चे को दूध पिलाकर थपकी देकर,उसे सुला कर नैनी को जरूरी बात समझा कर परिवार में सबको खिला-पिलाकर निकल पड़ी...

Archana Anupriya
May 14, 20231 min read
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"डिजिटल हुई किताबें"
खोने लगी है खुशबू कागज की डिजिटल तकनीकि में फंसकर.. कलम और पेंसिल उदास हैं की-बोर्ड की साजिश में उलझ कर.. बड़ी अदा से आई थी यूनिकोड और...

Archana Anupriya
Apr 23, 20231 min read
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“ बचपन… एक याद”
भूलता नहीं कभी मुझे वह मस्त और सुहाना बचपन कितना सरल, कितना निश्छल वह मधुर चंचल लड़कपन..। जीवन का वह ऊषाकाल न चिंता, न कोई हलचल शिशु-मन की...

Archana Anupriya
Nov 14, 20221 min read
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"सफाई"
ये कचरा नहीं है दिमाग में सब पुरानी यादों के जाले हैं उलझा कर रखा करते थे जो उन्हें साफ करके निकाले हैं.. स्वच्छता केवल घर की नहीं अपने...

Archana Anupriya
Oct 20, 20221 min read
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"फुटपाथ की दीपावली"
नगर को दीप सजा रहे थे प्रकाश अमावस को लजा रहे थे.. सभी दुकानें भरी पड़ी थीं हर तरफ रौशनी की लड़ी थी.. लोग मस्ती में झूम रहे थे एक-दूजे...

Archana Anupriya
Oct 16, 20221 min read
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"रावण जिंदा है..."
गूँज रहा है अट्टहास, हँस रहा है रावण- "पुतले जला रहे हैं लोग, मैं सबमें जी रहा हूँ जीवन.. कई नाम हैं मेरे कई हैं मेरे चेहरे...

Archana Anupriya
Oct 4, 20221 min read
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"कर्म"
"नैतिकता जब आहत हुई, फरेब मुस्कुराने लगे.. सच्चाई जब मृत हो गई, झूठ नाचने,गाने लगे.. दौलत की भूख के आगे, सारे कर्तव्य बेकार हुए.....

Archana Anupriya
Aug 19, 20221 min read
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"देशभक्ति"
हवा चली देशभक्ति की दिनभर फिर लुप्त हो गई.. बजे गाने,लगे झंडे तस्वीरों पर धड़कनें तृप्त हो गई.. अब शुरू होगा दौर मुहब्बतों का मस्तियों का...

Archana Anupriya
Aug 18, 20221 min read
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"राष्ट्र-जागृति"
जन-जन इस क्षण मन में अशांत, यह सोच बुद्धि है श्रांत-क्लांत.. भारत कैसे विकसित होगा? कैसे यह नव निर्मित होगा?.. क्या है विकल्प का एक रुप?...

Archana Anupriya
Aug 13, 20221 min read
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"सरहद की राखी"
जंग के लिए दुश्मन अड़ा था, सरहद पर कोई भाई खड़ा था, व्यथित थी भारत मां हमारी, मन तो दुविधा में पड़ा था... सोच रही थी वो मन ही मन-...

Archana Anupriya
Aug 10, 20221 min read
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"दोस्ती"
दोस्तों की तो बात न पूछो, दूर भी हैं और साथ भी.. जब भी चाहे उन्हें बुला लो यादें भी हैं,जज्बात भी.. आँखें अगर जो बंद करो तो गुजरा हुआ पल...

Archana Anupriya
Aug 7, 20221 min read
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"कुरुक्षेत्र का युद्ध जरूरी है.."
बज गई रणभेरी कुरुक्षेत्र का मैदान सजा था हाथों में गांडीव लिए अर्जुन पर मन दुविधा में पड़ा था- "अपनों से ही जंग कैसा ? दुश्मनी का ये रंग...

Archana Anupriya
Jul 17, 20221 min read
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"लिव इन रिलेशनशिप"
प्यार का बंधन प्रैक्टिकल हो गया.. नये जमाने के अनुरूप ढल गया.. संवेदनाएँ निराकार हुई अब जरूरतें ही आधार हुईं अब.. बस दो शरीर हैं रहते साथ...

Archana Anupriya
Jul 7, 20221 min read
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