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घोंसला

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Sep 22, 2020
  • 1 min read

पक्षी अब वृक्ष पर घर नहीं बनाते

हम वृक्ष हटाकर घर बनाते हैं

पक्षी अब ढूँढते हैं

खिड़कियाँ, रोशनदान,

टूटी टोकरी, घर का कोना

जिसमें रंगी पुती होती हैं

कटे वृक्ष की आत्माएँ

उन आत्माओं की आवाज सुनकर

उनकी खुशबू ढूँढ कर

आते हैं पक्षी घर में

कुदरत ने पूरी धरा दी थी उन्हें

हमने बेच दी मिट्टी

ढल गए हम सीमेंट और कंक्रीट में

हो गए हम पत्थर

पक्षी का घोंसला अब तिनकों से नहीं

हौसलों और उम्मीदों से बनता है...

©अर्चना अनुप्रिया


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