top of page

"सरहदें"

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Jul 20, 2020
  • 1 min read

कितना अच्छा हो यदि

हर सरहद पर तैनात हों

फौजियों,गोलियों,टैंकों की जगह

सूर, तुलसी,मीर,गालिब,फैज

और जंगें हुआ करें महज

गीतों,गजलों,दोहों,शेरों की

गोलियों की जगह बरसें

दोनों ओर से प्रेम-पुष्प

और निकाल दिये जायें

साहित्य के नवरसों से वीर रस

सारे हथियार बन जायें

प्रेम पत्र लिखने वाली कलम

सारे हिंसक शब्द मिट जायें

दुनिया के सभी शब्दकोषों से

और सार्थक हो जाये

सही मायने में हमारा नारा

वसुधैव कुटुम्बकम...

Recent Posts

See All
"जंगल की संसद"

"जंगल की संसद" वन की संसद का अधिवेशन था  कई झमेलों का इमरजेंसी सेशन था  सारे पशु पक्षियों का मानो लगा हुआ था मेला... हर एक अपनी शिकायतों ...

 
 
 

Comments


bottom of page