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उत्साह/उमंग

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Jun 17, 2020
  • 1 min read

पिंजरे में कैद पंछी का

उत्साह कैद नहीं होता

कैद नहीं होती है उसकी सोच

ऊर्जा होती है उसके विचारों में

वह इधर-उधर घूमकर

तलाशता रहता है

आजादी का सबब

स्वतंत्रता की परिभाषा

ढ़ूँढ़ता रहता है एक सूराख

जो बदल दे समय की धारा

उसे याद है उड़ान की उमंग

अपने पँख की आजादी

उत्साह से भरा यौवन

उम्मीदों से भरी होती हैं

उसकी आँखों की चमक

कर्म करने को आतुर हैं

उसके बँधे दोनों हाथ

सलाखों के बीच खोजता है

भरोसे का स्वच्छंद जीवन

अंदर का विश्वास साथ देता है

और वह परिंदा एक दिन

गिरा देता है समूचे पिंजरे को..

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