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"उम्मीदों का साल 2021"

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Jan 11, 2021
  • 4 min read

2020 का वर्ष कोरोना नाम की महामारी की भेंट चढ़ गया। सारी उम्मीदें, नीतियाँ, योजनाएँ- जो 2019 में 2020 के लिए तय की गई थीं, किसी ताश के पत्तों से बनी मीनार की भाँति धराशायी होकर गिर पड़़ीं... मानो, समुद्र के किनारे बालुका राशि से बने सपनों के महल को एक अचानक से आयी हुई लहर बहा आकर ले गई हो। अभूतपूर्व आपदाएँ और अकल्पनीय व्यवहार और घटनाएँ नजरों के सामने से गुजरीं। बेसब्री से 2021 का इंतजार किया जाने लगा और अब 2021 के आते ही कई उम्मीदें अपने पंख फैलाने लगी हैं।


पिछले साल की घटनाओं ने इंसान को काफी हद तक बदल दिया है। चुनौतियों का सामना करने की शक्ति, उनसे निपटने के तरीके और उन से जूझते हुए मंजिल पाने का हुनर- हमने बंद कमरों में रहकर भी अपने अंदर के कई बंद दरवाजे खोले हैं। 2021 वर्ष ने 21वीं सदी के दूसरे दशक को समाप्त कर एक नये दशक की शुरुआत कर दी है। इन दो दशकों में हमने दुनिया को बदलते और एक दूसरे के करीब आते देखा।महीनों की दूरियाँ दिनों और घंटों में तब्दील हुईं।हर पल हम तस्वीरों के माध्यम से पृथ्वी का हर कोना अपने करीब लाने में समर्थ हुए हैं। परिवर्तन तो शाश्वत है.. यह सतत होता है और आगे भी होता रहेगा। इसीलिए, अब उम्मीदों ने हमें सपने दिखाने आरंभ कर दिए हैं ताकि अब आगे जो कुछ भी बदलने वाला है वह हमारे हित में हो, सकारात्मक हो। हमारी चुनौतियों से जूझने की शक्ति ने हमें सकारात्मक दिशा दिखाई है और हम सब पूरी आशा लिए संभावनाओं की ओर बढ़ चले हैं।


कोरोना की महामारी ने विश्व के वैज्ञानिकों को एक बार फिर यह बता दिया है कि अभी हम अदृश्य वायरस से लड़ने के लिए भी पूरी तरह से तैयार नहीं हैं,लिहाजा दूसरी अन्य बड़ी चुनौतियों से लड़ने हेतु हमें अभी लंबा रास्ता तय करनाहै। विश्व इस हानिकारक वायरस की वैक्सीन को खोजने में लग चुका था और अब 2021 में यह उम्मीद जगी है कि वैक्सीन बनकर लगभग तैयार है तथा यह अवश्य कारगर सिद्ध होगी और हम इस महामारी को हरा पायेंगे।

अर्थव्यवस्था जो थोड़ी पहले से ही खराब चल रही थी, 2020 की महामारी में लॉकडाउन की परिस्थितियों की वजह से और भी गंभीर स्थिति में पहुँच गई है। लोग जो कारखानों और व्यापार के बंद होने से बेरोजगार होकर निराश हो चुके हैं उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कार्य स्थलों में फिर से काम शुरू होगा और वे काम धंधे पर फिर से पहले की तरह लग पायेंगे।लोग आशान्वित हैं कि आर्थिक व्यवस्था फिर से सुधर जायेगी और विकास की बंद गाड़ी पुनः निकल पड़ेगी। इंसानों का एक दूसरे के साथ उठना- बैठना, घूमना- फिरना जो सोशल डिस्टेंसिंग की शक्ल में बंदी बना हुआ था अब धीरे-धीरे खुद को सुरक्षित रखता हुआ आजादी की तरफ बढ़ चला है। इंसानों का एकांकी होता मन जो नकारात्मकता के काले साये से घिरने लगा था,अब तेजी से सकारात्मकता की ओर कदम बढ़ा चुका है।एकजुटता और हौसलों की रोशनी तथा उम्मीदों की किरणें उन्हें सही दिशा दिखाने लगी हैं।

वर्ष 2021 हर तरह से प्रत्येक क्षेत्र के लिए उम्मीदों का साल है।बहुत कुछ संभालना है, जो लड़खड़ाने लगे हैं,जैसे चिकित्सा, पर्यटन,व्यापार.. कितने अधूरे काम पूरे करने हैं,जो पिछले साल पूरी तरह से बंद रहे...बहुत कुछ पाना है,जो हमने खो दिए हैं।महामारी की चुनौतियों से लड़ते हुए बहुत कुछ सीखा है हमने जो 2021 में हमें ऐसी परेशानियों से बचाने में सहायक होंगे। 2020 की महामारी और उससे बचने के तरीकों ने स्वच्छता,सावधानियाँ,संस्कार,संयम और बगैर पूजा स्थलों पर गए मन की एकाग्रता आदि सिखाये हैं, जिसकी वजह से उम्मीद है कि भविष्य में कमजोर होती इंसानियत, मानवता और दुर्बल होते नैतिक मूल्य पुनः अपनी जड़ें मजबूत कर पायेंगे। अलग-अलग पीढ़ियों ने एक दूसरे के साथ समय बिताया और एक दूसरे की जरूरत को समझा जिससे यह आशा जगी कि हमारा बिखरता हुआ समाज और भूलती हुई संस्कृति पुनः अपने सुनहरे दिन वापस ला पायेंगे। प्रकृति के दोहन का नकारात्मक परिणाम हम भुगत चुके हैं तो शायद अब हम सब प्रकृति के प्रति अपनी उन गलतियों को कभी नहीं दोहरायेंगे, जिसके परिणामस्वरुप आसपास का वातावरण स्वच्छ और शुद्ध होगा और सृष्टि एक बार फिर से सृजन की ओर लौटेगी। आत्मनिर्भरता, ठहराव,कर्मठता, एक दूसरे से दूर रहकर भी नज़दीकियों का एहसास-यह सब कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं,जो हमें चुनौतियों से लड़कर एकजुटता के साथ रहने के तरीके सीखाती हैं। हासिल की हुई ये शक्तियाँ हम सब में सकारात्मक और सुंदर भविष्य के निर्माण की उम्मीद जगा रही हैं।2021 से जितनी भी आशायें हैं, वे पूरी होंगी और समस्त विश्व एकजुट होकर नये सुंदर भविष्य के सृजन ओर अग्रसर होने की उम्मीद कर सकता है।चिकित्सा, विज्ञान, तकनीक,व्यापार, समाज-हर क्षेत्र में सुधार और परिवर्तन की जरूरत हमें महसूस हो रही है।


यातायात को विकास की लाईफ-लाईन कहा जाता है। दुनिया बदल रही है और साथ ही बदल रहा है, परिवहन।ईंधन के नये विकल्प,ज्यादा क्षमता, स्मार्ट रोड,स्वच्छ ऊर्जा-ईंधन,ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक कारें,बसें,ट्रेनें-न जाने कितनी आशायें और कल्पनायें लेकर बैठे हैं हम।खान-पान को लेकर भी कई बदलाव होने की सँभावनाएँ हैं। कोरोना-काल में बाहर का खाना बंद करने और नियमित योगाभ्यास करने से स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत लाभदायक परिणाम देखे गए हैं।इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय शाकाहारी खानपान और तौर-तरीकों,जैसे, दूर से ही करबद्ध होकर नमस्ते करना आदि बहुत कारगर सिद्ध हुए और भारतीय संस्कृति की अच्छाइयाँ उभरकर विश्व के सामने आयीं।अब विश्व गुरू बनने के सपने को सच करने का प्रयास हमारे देश को और भी आगे लेकर जायेगा।आत्मनिर्भर भारत का निर्माण, वैश्विक पटल पर भारतीय संस्कृति की महत्ता, नवयुवकों द्वारा कार्य करने के नये तरीके और दिनचर्या में शामिल हुए कई नये व्यवहार- एक नयी दिशा और दशा की तरफ हमें ले जा रहे हैं।शीघ्र ही हमारी उम्मीदें और उन्हें हासिल करने के हमारे प्रयास एक नये युग का आरंभ करेंगे।

©

अर्चना अनुप्रिया।

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