"सीने में जलन..."
- Archana Anupriya

- Dec 2, 2024
- 7 min read
“दिल्ली और प्रदूषण”
सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान सा क्यों है,
इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है...?
1978 में आई फिल्म 'गमन' का यह गाना आज देश की राजधानी दिल्ली में रहने वालों के हालात को बखूबी बयां करता है। दिल्ली में जहां हवा में जहर घुला हुआ है,हर सांस लोगों पर भारी है,यमुना नदी के पानी में बर्फ जैसा सफेद लेकिन जहरीला फोम भरा हुआ है, वहीं लोगों के चेहरों पर मास्क भी है। एक तरफ कोरोना वायरस का खौफ अभी तक है तो दूसरी ओर, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां जिंदगी की मुश्किलें बढ़ाती जा रही हैं और दमघोंटू हवा दिल्ली वालों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है।भारत की राजधानी दिल्ली का वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। हर वर्ष ठंड की दस्तक के साथ यह प्रदूषण असहनीय हो जाता है और आंकड़े डराने लग जाते हैं। स्कूल, कॉलेज या तो बंद कर दिए जाते हैं या तकनीकी सुविधाओं के उपयोग से ऑनलाइन कर दिए जाते हैं। सुबह-सुबह पार्क या सड़कों पर व्यायाम के लिए टहलने या कसरत करने वाले लोगों के लिए घर से निकलना दूभर हो जाता है।हिदायत दी जाती है कि घर में ही चहलकदमी कर लें। अब भला खुली हवा में जोगिंग करने वाले या पैदल चलने वाले लोग घर के अंदर कितना टहल पाएंगे? बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए यह समस्या और भी विकट हो जाती है। चारों तरफ एक धुंध सी छाई रहती है। सूरज की रोशनी भी खुलकर घरों तक नहीं पहुंच पाती है। गले में खराश, आंखों में जलन, सीने में धुआं भरा सा महसूस होने लगता है। यह दिल्ली,जो लगभग 19 मिलियन लोगों का शहर है, एक गैस चैंबर में तब्दील हो जाता है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, संबंधित निकाय– सभी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने लग जाते हैं, जो समाज की इस समस्या का समाधान निकालने की जगह वातावरण को और भी प्रदूषित कर देता है। वर्ष 2014-15 के बाद यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।यह बढ़ती हुई एक भयंकर रूप ले रही है। दीपावली से शुरू होकर होली आने तक दिल्ली पूर्णरुपेण गैस चैंबर में तब्दील नजर आती है। एक भयानक धुंध की वजह से सभी को मास्क पहनने, चश्मा लगाने एवं घर से बाहर नहीं निकलने जैसी व्यवस्था से बाधित कर दिया जाता है। लोग एयर प्यूरीफायर एवं नेबुलाइजर जैसे यंत्र घरों में ऑन करके कमरों में बैठते हैं। पटाखे पर रोक लगाई गई, वाहनों पर औड-इवन जैसी व्यवस्था का उपयोग किया गया परंतु, समस्या जस की तस्वीर बनी रही और दिल्ली में वायु प्रदूषण केंद्र का मुद्दा एवं अंतर्राष्ट्रीय समाचार बनता रहा। इस परिपेक्ष में जरूरी है कि वायु प्रदूषण के कारणों का विश्लेषण किया जाए।
कारण..
दिल्ली राजधानी होने के साथ-साथ एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र भी हमेशा से रही है। हर तरह के क्रियाकलाप जैसे, राजनीतिक व्यापारिक कलात्मक एवं सेवाओं संबंधित गतिविधियों का हमेशा से ही केंद्र रही है यह दिल्ली। संपूर्ण भारतवर्ष का शासन यहीं से संचालित होता है। लिहाजा, हर वर्ग की दिलचस्पी दिल्ली में बनी रहती है।देश भर से लोग आकर यहां बसना चाहते हैं और अपने-अपने कार्य क्षेत्र और कला क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहते हैं। एक सर्वे के अनुसार दिल्ली दुनिया की दूसरी सबसे अग्रणी मेगा सिटी और भारत का सबसे प्रमुख शहर है। यहां की बढ़ती आबादी यहां के प्रदूषण का एक बड़ा कारण प्रतीत होती है। दिल्ली अपने तीव्र विकास के साथ संघर्षरत है और वाणिज्यकी,आवासीय संरचना में सुधार के लिए पर्याप्त दबाव का सामना कर रही है। निकटवर्ती प्रदेशों से आकर बसने और रोजगार करने वाले लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह शहर राजनीतिक गतिविधियों के अतिरिक्त व्यापार,व्यवसाय तथा आर्थिक व सेवा उन्मुख गतिविधियों का केंद्र भी है, जिसकी वजह से इसकी आबादी में लगातार वृद्धि हो रही है। दिल्ली की आर्थिक समृद्धि और रोजगार के अवसर दिल्ली में हुए वायु प्रदूषण वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं।जनगणना बढ़ने के साथ-साथ निजी वाहनों की संख्या में भी गुणात्मक वृद्धि देखी गई है। एक सर्वे के अनुसार दिल्ली में वाहनों की संख्या अन्य महानगरों की वाहन-संख्या के योग से भी अधिक है। इन वाहनों से उत्सर्जित प्रदूषणों से दिल्ली में वायु प्रदूषण स्वत: ही बढ़ता जा रहा है। दिल्ली,जो व्यापार और शासन का शहर थी, अब धीरे-धीरे परिवर्तित होकर बहुआयामी शाहर बन गई है, जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर उद्योग के साथ-साथ व्यावसायिक और सेवा उन्मुक्त गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला है और इनमें कार्यरत लोगों के रहने का प्रमुख ठिकाना है। इसके अतिरिक्त, मौसम के बदलते प्रभाव भी दिल्ली को रोज प्रभावित करते रहते हैं। दिल्ली की भौगोलिक स्थिति इस शहर की जलवायु और वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उत्तर में शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला और उत्तर पश्चिम में थार रेगिस्तान इसके क्षेत्र में मौसम की स्थिति को प्रभावित करते हैं।गर्मियों में गर्म हवा का बढ़ता वेग, धूल भरी आंधी दृश्यता को खराब करती है। मानसून की शुरुआत के साथ धूल जमती है और उस समय क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता सर्वोत्तम रूप में दिखाई देती है। गर्मियों के और मानसून के मौसम भी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले तूफानों की घटना के गवाह होते हैं और बारिश और धूल दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर पश्चिम में लाते हैं। सर्दियों के दौरान कोहरा यहां एक सामान्य घटना है परंतु, दिवाली के पटाखे और आसपास के राज्यों में बुवाई को लेकर खेतों की सफाई के दौरान फसलों के अवशेष का जलना सारे वातावरण को धुएं और विषैली गैसों से भर देता है जिसके प्रदूषण ने दिल्ली की हवा को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बना रखा है।इससे फेफड़े, गले और आंखों की कई बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। एम्स के रिपोर्ट बताते हैं कि हाल के दिनों में ऐसी बीमारियों में काफी हद तक वृद्धि हुई है। वायु प्रदूषण से अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ रहा है। दरअसल,सेंटर फॉर रिसर्च औन एनर्जी एंड क्लीन एयर और ग्रीन पीस द्वारा जारी नयी रिपोर्ट के अनुसार इसके चलते हर साल भारतीय अव्यवस्था को अर्थव्यवस्था को 15000 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है।
प्रदूषण समस्याओं के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ गया है। सरकार को अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक व्यय करना पड़ता है। व्यक्ति भी अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए चिकित्सा सेवाओं, दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों पर अधिक खर्च करते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।प्रदूषण के कारण कई लोग बीमार पड़ जाते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता और उत्पादकता में कमी आती है। कर्मचारियों के स्वास्थ्य बिगड़ने से वे कम काम कर पाते हैं, जिससे कंपनियों और सरकार के कार्यों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।दिल्ली में प्रदूषण के कारण पर्यटक आकर्षण में कमी आई है। लोग दिल्ली में प्रदूषण के कारण अपनी यात्रा को स्थगित या रद्द कर देते हैं,जिससे पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान होता है। पर्यटन में कमी से होटल, रेस्टोरेंट और अन्य संबंधित उद्योग भी प्रभावित होते हैं, जो दिल्ली की अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक है।प्रदूषण के कारण आर्थिक गतिविधियों में भी रुकावट आती है। बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं, कम होती उत्पादकता, और कम होते पर्यटन के कारण आर्थिक विकास प्रभावित होता है. कंपनियाँ भी प्रदूषण के कारण अन्य क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देती हैं, जिससे दिल्ली का औद्योगिक विकास धीमा होता जा रहा है।
प्रदूषण कम करने के उपाय
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए कई उपायों की आवश्यकता है, जो केवल सरकार के प्रयासों तक सीमित नहीं रह सकते, बल्कि समाज के हर वर्ग को इस दिशा में योगदान देना होगा..सरकार को वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कड़े नियम और कानून बनाने चाहिए।उद्योगों और वाहनों पर कड़े उत्सर्जन मानक लागू करने की आवश्यकता है, ताकि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके।ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) जैसी योजना प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के अनुसार कदम उठाने में सहायक है। इससे अत्यधिक प्रदूषण वाले दिनों में आपातकालीन कदम उठाए जाते हैं, जैसे कि निर्माण कार्यों पर रोक, सड़कों की सफाई, और वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण।दिल्ली में बड़े स्तर पर स्मॉग टॉवर्स लगाए जाने चाहिए जो वायु में मौजूद प्रदूषकों को सोख कर हवा को स्वच्छ बनाते हैं। सरकार को मेट्रो, बसें और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि लोग निजी वाहनों का कम उपयोग करें।
व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रयास के अंतर्गत कार पूलिंग और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग: लोगों को अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए. इसके अलावा, कार पूलिंग के माध्यम से वाहन की संख्या को कम किया जा सकता है, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।घरों में इंडोर प्लांट्स लगाने से वायु की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है. ये पौधे वायु में मौजूद विषैले कणों को सोखने में मदद करते हैं।लोग कचरा जलाने से बचें, क्योंकि इससे कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें निकलती हैं। इसकी बजाय, कचरे का उचित निपटान और पुनर्चक्रण करें।ऊर्जा का संरक्षण करने से प्रदूषण कम हो सकता है। बिजली और पेट्रोलियम उत्पादों की खपत को नियंत्रित करके हम वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं। दिल्ली में ऊर्जा उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए। इससे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण में कमी आएगी।दिल्ली में हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। पेड़ हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है।लोगों को प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूक करने के लिए शैक्षिक कार्यक्रम और अभियानों का आयोजन किया जाना चाहिए। जब तक लोग प्रदूषण के खतरों को समझेंगे नहीं, तब तक वे प्रदूषण कम करने के प्रयासों में सक्रिय योगदान नहीं दे सकेंगे।
निष्कर्ष..
यूं तो देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी महत्वपूर्ण गाइडलाइंस दिये हैं, सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए कहा है परन्तु, सरकार और जनता दोनों को जागरूक होकर साथ काम करने की आवश्यकता है।अंततः यही कह सकते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है,जो पर्यावरण, समाज, और अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। यह समस्या न केवल दिल्ली तक सीमित है,बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका प्रभाव दिखाई देता है। प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं,आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। सरकार और आम जनता के संयुक्त प्रयासों से ही प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए दीर्घकालिक और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।यदि सभी अपने-अपने स्तर पर योगदान दें और प्रदूषण नियंत्रण के प्रति गंभीर हों, तो निश्चित रूप से दिल्ली को एक स्वच्छ, स्वस्थ और प्रदूषण मुक्त शहर बनाया जा सकता है।

© अर्चना अनुप्रिया
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