"कालातीत यात्रा" (The Timeless Journey)
- Archana Anupriya
- Sep 29, 2020
- 1 min read
जीवन में यह कैसा परिवर्तन
मेरी रूह की गहराइयों में उतरने लगा
एक अवसर- स्वयं से मिलने का
मन शांति में, आनंद में विचरने लगा...
अनजान से पथ पर सुवासित
हवा की भाँति मैं चलती रही निरंतर
कालातीत यात्रा में हर पल
एक सुखद अहसास,गुनती रही अभ्यंतर...
हर लम्हा मैंने पूछा प्रकृति से
हूँ कौन मैं? है किसकी मुझे प्रतीक्षा?
उत्तर मिला मुझे मेरी तूलिका से
रंग ले हर भाव अपने और अपनी हर इच्छा...
हर पल के अपने रंग अनूठे
सुख,दुःख, शौर्य और मुस्कुराहटें
कहीं झूमते, लहराते जंगल-झरने
कहीं टूटते पत्तों की सिसकती आहटें...
कितना क्षण भंगुर अस्तित्व जीवन का
क्यों न रंग लें हम अपने एहसास...
उस पार, जहाँ न जीवन-मृत्यु
समय से मुक्त हैं ये रंगे कैनवास...
है सब कुछ पूर्ववत् दैनिक जीवन में
समा गई है रूह में तन्मात्रा
आसक्त नहीं, निष्काम हूँ अब मैं
बहती नदी सी ये कालातीत यात्रा...
©
अर्चना अनुप्रिया
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