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जीवन का उद्देश्य

  • Jun 14, 2020
  • 1 min read

कभी-कभी सोचती हूँ-

इस जीवन का उद्देश्य

क्या है?

परमात्मा की अनंत

रचनाओं के पीछे

छुपा उनका संदेश क्या है?

क्या जीवन की रचना इसीलिए

क्योंकि ईश्वर

एक कलाकार है?

हर घड़ी कुछ नया गढ़ता है,

और, सृजन को

देता आकार है?

फिर, विचार आता है,-

“विनाश सृजनकार का

कैसे लक्ष्य होगा?

जो स्वयं सृजेगा,मृत्यु देना

उसके लिए तो अशक्य होगा”

तो क्या जीवन इसीलिए

क्योंकि ईश्वर का ध्येय है-

“अपना मन बहलाना

अपनी रचनाएँ वश में रखना

खुद ‘परम पिता’कहलाना”

पर,जब उसकी रचना, संतान

अपनी जीवन-यात्रा

में दुःखी होगी

तो,परम पिता की

वो परम आत्मा

उनका दुःख देखकर

कैसे सुखी होगी?

समझ नहीं पाती हूँ,

इस जीवन-यात्रा का

ध्येय क्या है?

जन्म-मृत्यु के सिवा

सब कुछ क्षणिक है

तो जीवन-संघर्ष में

अजेय क्या है?

तब मन-मस्तिष्क में

कौंधती है,

प्रकृति की एक

अनुपम सीख

ईश्वर का वह संदेश,जो

हर जीवन यात्रा में

जाती है दिख-

“सभी गढ़े गए हैं ब्रह्मांड में

अपने एक अस्तित्व के

निर्माण के लिए

कर्म ही है वो साधन,जिसे

जीना है हमें अपनी

पहचान के लिए..

हर जीवन अपने

कर्मों की खातिर बना है

हर रचना की अपनी

अलग भूमिका है,

हर कर्म का वो हिसाब लेगा

जिसके हाथों में

सृजन की तूलिका है..

हर जीवन का उद्देश्य है

अपनी आत्मा की शुद्धि

मोह माया से उठकर

कर्म करें

यही है अंतरात्मा

की सद्बुद्धि..

जो सत्कर्म करते हैं

उन्हें मिलता है मोक्ष प्यारा

दुष्कर्म करने वाले को

जीवन चक्र में मुक्ति हेतु

आना पड़ता है दुबारा…।”

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