top of page

दो जून की रोटी

  • Jun 15, 2020
  • 1 min read


शम्भु गाँव से शहर काम के लिए ही आया था परन्तु अनजान व्यक्ति समझकर कोई उसे काम नहीं दे रहा था।दो तीन दिनों तक इधर-उधर भटकने के बाद शम्भु ने मंदिर के पास फूल बेचना शुरू कर दिया। शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई पर धीरे-धीरे फूल बेचने का व्यवसाय अच्छा चल निकला और शम्भु उस शहर का बड़ा फूल व्यापारी बन गया। बड़े व्यापारी होने के बावजूद उसने अपने पुराने दिनों को याद रखा जब वह दो जून की रोटी के लिए भी पैसे पैसे का मोहताज था। आज वह उन सभी गरीबों और मजबूर लोगों का सहारा बन गया जो दो जून की रोटी कमाने से भी लाचार थे।शम्भु सबके लिए उदाहरण बन गया था।

Recent Posts

See All
"ठुकरा के मेरा प्यार "

*"ठुकरा के मेरा प्यार *"*- *एक समीक्षा** ठुकरा के मेरा प्यार सीरीज़ एक हिंदी ड्रामा है,जो डिज्नी+ हॉटस्टार पर दिखाया जा रहा है।इसका...

 
 
 
रील की बीमारी, रीयल जीवन पर भारी "

“रील की बीमारी,रीयल जीवन पर भारी"  अभी हाल के दिनों में शिक्षक दिवस के अवसर पर एक अजीब सा वीडियो वायरल हो गया। किसी शिशु विद्यालय में...

 
 
 

Comentários


bottom of page