"नोबेल पुरस्कार और महिलाएँ"
- Archana Anupriya
- Oct 15, 2020
- 6 min read
2020 का वर्ष महिलाओं के उपलब्धियों की दृष्टि से अत्यंत ही सफल वर्ष कहा जाएगा क्योंकि इस वर्ष चार महिलाएँ अलग-अलग क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार जैसे विश्व स्तर के पुरस्कार से सम्मानित की गई हैं। एक तरफ जहाँ महिलाएँ अपनी सुरक्षा और अपने अधिकार के लिए दिन प्रतिदिन संघर्ष कर रही हैं,वहीं महिला-वर्ग की ऐसी उपलब्धियाँ महिलाओं के ह्रदय में न केवल उमंग जगाती हैं बल्कि उनका हौसला भी दुगना करती हैं। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है,जो महिलाओं के हिस्से आने से महिला वर्ग में शक्ति की वृद्धि का परिचय देता है और इस बात को सिद्ध करता है कि आज की महिला किसी भी क्षेत्र में विश्व के स्तर पर पुरुषों से कम नहीं। हमें सर्वप्रथम यह जानना चाहिए कि नोबेल पुरस्कार होता क्या है?
क्या है नोबेल पुरस्कार..?
स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में 1901 में शुरू किया गया नोबेल पुरस्कार एक विश्व स्तर का पुरस्कार है, जो शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में मानव जाति की भलाई के लिए किए गए सर्वोच्च कार्यों के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है। इस पुरस्कार के रूप में एक प्रशस्ति पत्र के साथ 14 लाख अमेरिकी डॉलर की राशि प्रदान की जाती है। अल्फ्रेड नोबेल एक वैज्ञानिक थे,जिन्होंने लगभग 355 आविष्कार किए, जिनमें 'डायनामाइट' का आविष्कार भी शामिल था। डायनामाइट के आविष्कार के बाद समाचार पत्रों में नोबेल को 'मौत के सौदागर' के नाम से संबोधित किया जाने लगा। अपने विषय में लोगों के ऐसे विचार बनते देखकर अल्फ्रेड नोबेल ने शांति के लिए काम करना शुरू किया और फलस्वरूप ट्रस्ट की स्थापना के विषय में सोचा। नोबेल को आविष्कारों की महत्ता और उनकी सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों की बखूबी समझ थी। साथ ही, वह विकास के निरंतर अनुसंधान की जरूरत को भी अच्छी तरह समझते थे। इसीलिए, 1896ई. में मृत्यु के पूर्व अपनी अथाह संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने ट्रस्ट के लिए रखा, जिसके ब्याज से उन लोगों को सम्मानित किया जा सके, जो मानव जाति के कल्याण के लिए विश्व स्तर पर सर्वोच्च योगदान देते हैं।उनकी इसी राशि से 1980 में नोबेल फाउंडेशन की स्थापना हुई और 1901 से यह नोबेल पुरस्कार का सिलसिला आरंभ हुआ। नोबेल फाउंडेशन में 5 लोगों की टीम होती है।इसका प्रतिनिधि स्वीडन की "किंग ऑफ काउंसिल" द्वारा तय किया जाता है तथा अन्य चार सदस्य ट्रस्टियों द्वारा तय किए जाते हैं।स्टॉकहोम में नोबेल पुरस्कार स्वीडन के राजा के हाथों दिया जाता है।
नोबेल पुरस्कार में महिलाएँ
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने के मामले में महिलाएँ भी अब पीछे नहीं हैं। 2020 तक लगभग 58 महिलाओं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।नोबेल पुरस्कार लिंग, जाति, देश, वर्ग आदि के भेदभाव के बिना दुनिया के किसी भी नागरिक को उसकी उपलब्धियों के लिए दिया जा सकता है।ऐसे में महिलाओं की उपलब्धियों को भी महत्वपूर्ण मानते हुए उन्हें मनोनीत किया जाता है। कोई भी स्त्री अपने परिवार और समाज की धुरी होती है। अपने परिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए वह अक्सर अपनी प्रतिभा को कुर्बान कर देती है।ऐसे में,महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपना स्थान बनाती हुई विश्व स्तरीय सम्मान से सम्मानित होती रही हैं, यह गौरव की बात है। कई तरह की बाधाओं को पार करती हुई कोई भी महिला जब उपलब्धियाँ हासिल करती है और उच्चतम शिखर पर पहुँच पाती है,तो सचमुच गौरव करने की अधिकारिणी बनती है। पहले विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति कम थी और नोबेल पुरस्कार जैसा सम्मान उनके लिए असंभव प्रतीत होता था, परंतु, मेरी क्यूरी ने इस परंपरा की शुरुआत की और नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम महिला बनीं। मेरी क्यूरी को दो बार नोबेल पुरस्कार मिला। उन्हें भौतिकी के लिए1903 में,तथा रसायन के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला। 2019 तक कुल 806 पुरुषों को, 53 महिलाओं को एवं चार संगठनों को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। 2020 में लुइस ब्लॉक को साहित्य के लिए, एंड्रिया एम गेज को भौतिकी के लिए,इमेनुएल कार्पेंटियर एवं जेनिफर ए.डौन्डा को संयुक्त रूप से रसायन के लिए 2020 का नोबेल पुरस्कार दिया गया हैं।पुरुषों की तुलना में नोबेल पुरस्कार पाने वाली स्त्रियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।लेकिन, महिलाओं ने इस क्षेत्र में भी अपना स्थान बनाया है,उनके हर तरह के संघर्षों को देखते हुए यह उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जायेगी--
1) शांति के क्षेत्र में अब तक 17 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं ;
2) साहित्य के क्षेत्र में अब तक 16 महिलाओं को यह पुरस्कार मिले हैं
3) चिकित्सा के क्षेत्र में अब तक 12 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ;
4) रसायन के क्षेत्र में अब तक 7महिलाएँ नोबेल पुरस्कार की अधिकारिणी बनी हैं;
5) भौतिकी में अब तक 4 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है और,
6) अर्थशास्त्र के में अब तक 2 महिलाओं को अब तक नोबेल पुरस्कार मिले हैं ।
मेरी क्वेरी की पुत्री इरीन जूलियट क्यूरी को रसायन के लिए 1935 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। इस पुरस्कार पाने वाली माँ और पुत्री की यह जोड़ी महिलाओं के लिए गौरव का विषय हैं। जहाँ तक महिलाओं द्वारा इस पुरस्कार पाने का प्रश्न है,2009 का वर्ष एक ऐसा वर्ष हुआ, जिस वर्ष में 5 महिलाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुए।इस साल 2020 में भी 4 महिलाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। इस दृष्टि से महिलाओं की उपलब्धि बहुत उच्च कोटि की मानी जायेगी।
2020 की नोबेल पुरस्कार प्राप्त महिलाएँ--
1)रसायन का नोबेल पुरस्कार 'जीनोम एडिटिंग' की पद्धति विकसित करने के लिए फ्रांस की इमैनुअल शारपेंनिए और अमेरिका की जेनिफर डौन्डा को संयुक्त रूप से मिला है।
2) भौतिकी में एंड्रिया गेज को दो पुरुषों-रोजर पेनरोज एवं रेनहार्ड गेंजेल के साथ संयुक्त रूप से "ब्लैक होल संबंधित सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट की खोज के लिए दिया गया है।
3) लुईस ग्लक अमेरिका की कवियित्री हैं और इन्हें 2020 का साहित्य नोबेल पुरस्कार उनकी बेहतरीन काव्यात्मक व्यक्तित्व और आवाज के लिए दिया गया है।नोबेल पुरस्कार समिति का कहना है कि उनकी आवाज खूबसूरत होने के साथ-साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाती है।
महिलाओं के साथ भेदभाव--
महिलाओं को हर क्षेत्र में अपने लिए अथक संघर्ष करना पड़ता है।इतिहास साक्षी है कि प्रखर प्रतिभा की स्वामिनी होते हुए भी कई क्षेत्रों में पुरुषों ने उन्हें नजरअंदाज किया है। नोबेल पुरस्कार का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है।बहुत ही स्वस्थ निर्णय एवं मौलिक प्रतिभाओं के बावजूद कई बार महिलाओं की प्रतिभाओं को नोबेल पुरस्कार के लिए नकारा गया है और लिंग भेद के उदाहरण सामने आए हैं। महिलाओं के अथक परिश्रम और प्रतिभा के बावजूद पुरस्कार उन्हें नहीं देकर उनके सलाहकार या उनके वरिष्ठ शोधकर्ताओं को दे दिया गया है। भौतिकी के क्षेत्र में पाँच ऐसी महिलाओं को नजरअंदाज किया गया, जिन्हें नोबेल पुरस्कार अवश्य मिलना चाहिए था--
1)सेसिलिया पेइन--इन्होंने यह बताया था कि तारे किस तरह और किस चीज से बनते हैं।सारा शोध सेसिलिया का होने के बावजूद उनके सलाहकार हेनरी नॉरेंस रसेल को पुरस्कार के लिए मनोनीत कर दिया गया।
2) शियेन शुईंग वू--इन्होंने ब्रह्मांड में पाए गए कणों के गुणों पर रिसर्च किया था, जिससे ब्रह्मांड के व्यक्तित्व का पता लग सका। परंतु इस रिसर्च के लिए दूसरे वैज्ञानिक ली एवं यांग को नोबेल पुरस्कार दे दिया गया और शियेन नजरअंदाज कर दी गयीं।
3)वेरा रूबीन--गैलेक्सी के डार्क मैटर पर इन्होंने केंट फोर्ड के साथ सफल शोध किया था और बताया था कि गैलेक्सी कैसे अस्तित्व में आई।परंतु, 45 वर्ष इंतजार के बावजूद उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया और 2016 में उनकी मृत्यु हो गई।
4) लाइस मेटनर--न्यूक्लियर विखंडन के सिद्धांत पर इनका शोध था परंतु उनके सहयोगी ऑटो हन् को दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ नोबेल पुरस्कार दे दिया गया... जबकि सारा महत्वपूर्ण शोध कथा लाइस मेटनर का था।
5) जैकलीन बेल बरनेल---इन्होंने सबसे पहले 1933 में ही ऐसे तारे का पता लगाया था जो देखा नहीं जा सकता परंतु रेडियो सिग्नल पैदा करता है, लेकिन इस रिसर्च के लिए 1974 में मार्टिन राइल एवं एन्थोनी हिवीश को नोबेल पुरस्कार दिया गया। जैकलिन को महिला होने का खामियाजा भरना पड़ा।
उपसंहार--
देखा जाये तो महिलाएँ अब परिवार और समाज के दायित्वों को निभाते हुए सारे बंधनों से स्वयं को मुक्त कर
हर क्षेत्र में विकास कर रही हैं और अपने निर्णय स्वयं ले रही हैं।नोबेल पुरस्कार जैसे विश्वस्तरीय सम्मान को पाकर महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे किसी भी क्षेत्र में किसी भी मामले में पुरुषों से कमतर नहीं हैं।हाँ यह अवश्य है कि कई बार उनकी प्रतिभाओं को नजरअंदाज करने की कोशिश की जाती है,परन्तु, अपने ज्ञान और आंतरिक शक्ति की बदौलत संघर्ष करती हुई महिलाएँ विश्व में हर तरफ अपना परचम लहरा रही हैं और विकास की ओर सतत अग्रसर हैं।
©अर्चना अनुप्रिया।
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