फरवरी 14/ 2020
- Archana Anupriya
- Jul 18, 2020
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जिंदगी दिनों, महीनों, सालों का सफर नहीं, यादों का सफर है।तमाम उम्र यादों का एक काफिला हमारे साथ चलता है।असंख्य यादों में कुछ मीठी सी यादें हमारे जीवन को खुशियों से भर देतीं हैं।बिछड़े दोस्तों से मिलना भी कुछ ऐसी ही दिलकश यादों का निर्माण करता है। कल वर्षों बाद कॉलेज और हॉस्टल के जमाने की हम चार पाँच सहेलियाँ अपने -अपने पति के साथ अमेरिका से भारत किसी विवाह में शामिल होने आयी एक सहेली की वजह से अपनी एक अन्य सहेली के दिल्ली में द्वारका स्थित खूबसूरत और सुसज्जित से फ्लैट में इकठ्ठे हुए। गप्पों और ठहाकों का वो दौर चला कि महीनों और सालों का दबा अहसास पल भर में आजाद होकर हमें फूल सा हल्का कर गया। तरह-तरह के वयंजन और हँसी मजाक के मीठे गुलगुलों से मन अंदर तक तृप्त हो गया..हालांकि यह मिटने वाली भूख तो है नहीं।एक दूसरे को प्रेम भरा तोहफा देकर हम सबने पलों को यादगार बनाने की कोशिश जरूर की परन्तु मन हर वक्त ऐसे खूबसूरत पलों को सिर्फ यादों म़ें नहीं बल्कि वास्तविक रूप से जीते हुए देखना चाहता है।
घर लौटते हुए रास्ते में मैं यही सोच रही थी कि कितने नासमझ हैं वे लोग जो रूपये-पैसे में सुख ढ़ूँढ़ते हैं।भला सुख,सुकून और शांति कभी दौलत से मिली है किसी को?खुशियाँ खरीदी नहीं जातीं महसूस की जाती हैं और दोस्तों का साथ खुशियों और सुकून के लिए वरदान है।दोस्तों से मिलते रहें, जीवन की मुश्किलों पर ठहाके लगाते रहें.... खुश रहना इतना भी मुश्किल नहीं..😍
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