मेरी कलम
- Archana Anupriya

- Jul 18, 2020
- 1 min read
मेरी कलम की नोंक
जब शब्दों का जहान रचती है
लिपट जाते हैं
जज्बात, अहसास, तजुर्बे
बोलने लगती हैं
गजलें, शायरियाँ,कहानियाँ
सजने लगती हैं
वादियाँ, कल्पनाएँ, ख्वाहिशें
झरना सा फूट पड़ता है
प्यार का,संस्कार का,सच्चाई का
शब्द गाने लगते हैं
गीत, नगमें,बोल, लोक रचनाएँ
और रौशन हो जाता है
एक नया जहाँ, जहाँ
भावनाओं के सिवा कुछ भी नहीं..
- अर्चना अनुप्रिया


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