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सूर्य उपासना

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Nov 21, 2020
  • 1 min read

है यह एक पूजा ऐसी

जहाँ आस्था है एक सी..

न पंडित, न पुरोहित

हो यह व्रत पूरे परिवार सहित..

न बंधन, न आडम्बर

बस सूर्यदेव रहें आसमान पर..

सभी साथ हों एक घाट पर

जाति-पाति- हर भेद मिटाकर..

अमीरी,गरीबी सब धाराशायी

बस व्रत करनेवाले और छठी माई..

सूप,डाला,फल और पकवान

अस्त हों या उदय हों सूरज भगवान..

आ जायें सूर्यदेव, अंगना में मोरे..

हम सब कुटुंब-जन खड़े हाथ जोड़े..

गोबर और मिट्टी से लीप घर-दुआरी..

धोयें सूप-नारियल, सजाके अटारी..

शुद्ध घी में ठेकुआ, नव चावल के लड्डू..

नारियल,अनानस,खीरा और कद्दू..

करके नहाय- खाय, खीर-रोटी खरना..

साँझ को सूप-अर्घ्य, रात कोसी भरना..

भोर उगते सूरज को करके शत नमन..

शुद्ध जल में भीगे तन से करके हवन..

देकर आशीष करें परवैति पारण..

यही सूर्यदेव ही तो हैं जग का कारण..

हर पल कृपालु रहें हमपे छठी मइया..

कभी भी न छूटे हमसे छठ के बरतिया..।

©

अर्चना अनुप्रिया।

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