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"हे माँ शारदे,वर दे"

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Feb 12, 2022
  • 1 min read

" हे माँ शारदे, वर दे"


हे माँ शारदे, वर दे,

माँ वीणावादिनी वर दे...

मुझ अज्ञानी की वाणी को,

अपने संस्कारों से भरा स्वर दे,

माँ वीणावादिनी वर दे....।


हूँ मिट्टी की काया केवल,

मोह माया में मगन मैं,

पा लूँ तुझको अपने अंदर,

लगाऊँ कैसे ये लगन मैं ?

मेरी रूह को अपने उज्जवल

प्रकाश से भर दे...

हे माँ शारदे, वर दे,

माँ वीणावादिनी वर दे...।


अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं माँ,

न इतनी समझ है मुझमें,

बड़ी अनोखी जाल ये दुनिया,

बँधी जग के उलझन में,

मुझ निर्बल,अदना पर माँ,

तू अपनी परम कृपा कर दे..

हे माँ शारदे, वर दे,

माँ वीणावादिनी, वर दे...।


सच- झूठ,तू सब जानती है,

हर न्याय-अन्याय की भाषा,

तेरे हंस के इन्हीं गुणों से,

दुनिया को मिले दिलासा,

अपनी वीणा के मधुर गान से,

जग के दुःख हर ले...

हे माँ शारदे, वर दे,

माँ वीणावादिनी, वर दे...।

©अर्चना अनुप्रिया

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