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हे शिव शंकर

  • Writer: Archana Anupriya
    Archana Anupriya
  • Jul 20, 2020
  • 1 min read

ना आदि है, ना अंत है, सीमाएं भी अनंत हैं, हैं "ऊँ" के आकार में, जिनसे सृष्टि जीवन्त है। हर काल के कपाल हैं, हम सबके महाकाल हैं, विभोर भी, वीभत्स भी, वैकुण्ठ भी हैं, पाताल हैं। सब देवों के देव हैं, कण-कण में एकमेव हैं, पी के विष भी जो मगन हैं, वह मृत्युंजय हैं, महादेव हैं। अंधकार वही, प्रकाश वही, मृत्यु वही और श्वास वही, हर रचना में, हर पल में वही, पाषाण-वृक्ष वही, हाड़-मांस वही। जन्म और मृत्यु से परे, सदा रहते समाधि में खड़े, किसी भी सोच से ऊपर हैं, अनंत शक्तियों से जड़े । ध्वनि में ओम् कार हैं, हर कला का आधार हैं, मोक्ष का सुन्दर स्वरूप हैं, हर सत्य से एकाकार हैं। नमन शिव, नमन हे शंकर! हे परमपिता, हे परमेश्वर ! हम सब पर कृपा करो अपनी, हमें सँभालो, हे करुणाकर ! हे शिव शंकर ! हे शिव शंकर !


सौजन्य: पुस्तक "और खामोशी बोल पड़ी", वनिका पब्लिकेशन


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