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भावों की चयनिका by Archana Anupriya

भावों की चयनिका
- Archana Anupriya
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जुलाई 26/2020
मनुष्य एक संवेदनशील सामाजिक प्राणी है और उम्मीदों पर ही जिंदा है..उम्मीदें चाहे अपनी जिंदगी से हो या किसी और से। रिश्ते मनुष्य के जीवन की...

Archana Anupriya
Jul 26, 20201 min read


जुलाई 12/2020
ढलती शाम का सुर्ख आसमान... धरती से गले मिलता, थोड़ा लजाता...चारों ओर रंग-बिरंगी छटा..मानो किसी बच्चे ने खाली कैनवास पर रंग बिखेर दिये...

Archana Anupriya
Jul 18, 20201 min read


जून 10/ 2020
"बेबस, बेचारा कान" पहले चश्मा और अब मास्क - खूँटी ही समझ लिया है क्या तुम सबने..? मुँह तो ढककर बचा लेते हो पर हमारा क्या..?उफ्फ्फ.....

Archana Anupriya
Jul 18, 20201 min read


मई 9/ 2020
"चाँद से गुफ्तगू" कल पूनम के चांद पर मन जा अटका। बड़ी सी गोल बिंदी जैसा... प्रकृति मानो सितारों से भरी चुनरी पहने,बड़ी सी बिंदी लगाए मुझे...

Archana Anupriya
Jul 18, 20203 min read
जून 21/ 2020
11:30 PM हवा में उड़ती हुई छवियाँ एक छोटे से आयताकार डिवाइस में आकर एक दूसरे से मिलीं और हवा में कोई खुशबू सी फैल गयी...ऐसा लगा मानो हम...

Archana Anupriya
Jul 18, 20202 min read
फरवरी 14/ 2020
जिंदगी दिनों, महीनों, सालों का सफर नहीं, यादों का सफर है।तमाम उम्र यादों का एक काफिला हमारे साथ चलता है।असंख्य यादों में कुछ मीठी सी...

Archana Anupriya
Jul 18, 20201 min read
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